Pages

Friday, January 29, 2021

A MUST READ BY THOSE WHO ARE CELEBRATING PUTTING OF NISHAN SAHIB AT RED FORT:-I AM FROM FIROZPUR PUNJAB AND WE HAVE UTMOST RESPECT FOR NISHAN SAHIB JI



 

*FOR ALL THOSE WHO ARE CELEBRATING PUTTING OF NISHAN SAAB AT RED FORT 🚩 निशान साहिब को बन्दर की तरह लाल किले पे लगाना, निशाने खालसा का सम्मान, या अपमान ⁉️ @ ✒GBG⚔*


1. निशान साहिब को बन्दर की तरह लाल किले पे लगाना, निशाने खालसा का सम्मान था या अपमान, इस बात को समझने के लिए, आइए कुछ बुनियादी बातों पे नज़र डालें। इस पोस्ट को लिखना मेरी अंतरात्मा की आवाज है, सो लिख रहा हूं। Nishan Sahib is an important part of Sikhism, and also the flag of one of Indian army's elite regiments. If any one has any doubts about the decorum of conduct to be observed, while handling Nishan Sahib, one needs to see, how respectfully, the soldiers and officers of Sikh Regiment, handle Nishan Sahib.



2. Inspite of all this, Nishan Sahib has often been used as a political tool, or as a sign of political party, and thus misused. Any protest, or agitation, of which sikh folks become a part of, gets misrepresented by its undiscretioary use. 

3. Many sikhs think, because the flag is there at a place, protest, march, function or parade, the same also must be having a religious significance, where as the protest could be, industrial, labour centric, farmer or student centric. For all such protests, or political party functions, use of sikh flag misrepresents the actual motive and purpose of it.

4. Secondly, as a sepratist sikh movement for Khalistaan has been going on, Nishan Sahib is often misused to represent separatists, by mischievous elements, and as a result the whole sikh community, gets dubbed as Khalistanis, or sepratists, and is forced to bear the anger of one and all. The Khalsa flag, can not be allowed to be thus abused forever.

5. In light of this, our state and central government should bring about an ordinance, in consultation with with followers of Sikhism across the country, to ensure that, Nishan Sahib can not be used, for any purpose other than religious or regimental purpose.

6. Nishan Sahib should only be hoisted on vehicles carrying SGGS, or on Gurudwaras, and must not be allowed to be hoisted upon other vehicles, or buildings other than Gurudwaras.

7. For religious purposes, like Gurupurab parades, the sikh flag should only be carried by Panj Pyaras while escorting SGGS. Its political use should be banned, and no political party should be allowed to use it as a party flag.  

8. I have often observed that after a Nagar kirtan or a political rally, the flags are strewn around any where and every where. Similarly, the sikh flag, having been wrongly stuck upon an empty flag post of RF, after having been removed, might have been thrown in garbage, resulting in its insult.

9. झंडा लगाने वाला तो खाली डंडे पे झंडा लगा कर वहां से भाग गया, लेकिन किसी ने उसे उतारा होगा, और फ़िर या तो वह case property बन कर, किसी लिफ़ाफे में पड़ा हो गा, या कहीं कूड़े में फेंक दिया गया होगा। इस तरह क्या निशान साहिब का सम्मान हुआ ता अपमान ? सोचिए गा अवश्य।

10. दूसरा जो कुछ लोग इस वानर क्रीड़ा को लाल किले पर सिक्खों द्वारा बीसवीं बार किसी विजय की तरह प्रसारित कर रहे हैं, उन की नादानी पे हंसी भी आती है और शर्म भी। अरे बेवकूफो, अगर किसी बन्दर की तरह, किसी भी किले की प्राचीर पे लगे डंडे पे झंडा बांध कर, वहां से भाग जाना, किला जीतना है, तो अब तक हज़ारों बार, भांति भांति के वानर, लाल किला नहीं, हज़ारों ही किले जीत चुके होते, सभी मदारी महान सेनापति बन गए होते, क्यों कि बस बन्दर द्वारा किले के डंडे पे झंडा लगवाओ, और किला विजयी । हंसी आती है। 

11. जो नाटक, खुद भ्रमित हुए, या भ्रम फैलाने की चेष्ठा से एक नौटंकी द्वारा 26 जनवरी को किया गया, उसे किला जितना नहीं, बल्कि कमीनी बन्दर गिरी कहते हैं। शुक्र करो में उस दिन, उस किले के उस स्थान का पहरेदार मैं नहीं था, वरना वाहेगुरु की कसम, ऐसी बन्दर गिरी करने वाले को, किसी सीनियर के हुक्म की प्रतीक्षा किए बगैर, देखते ही, मौके पर गोली मार देता। 

12. किला जीतना या डिफेंड करना क्या होता है, उस के लिए कितनी जुझारू जंग करनी पड़ती है, कितना समय लगता है, क्या सामान लगता है, कितनी फौज लगती है, और कितनी देर तक उसे अपने कब्जे में रखना पड़ता है, इसे सीखने के लिए इतिहास के, खस तौर पे विश्व के जंगी इतिहास के, मिलिट्री हिस्टरी के कुछ पन्ने पलटने आवश्यक है। 26 जनवरी को किया गया कुकृत्त, किला जितने के लिए नहीं, बल्कि किसान आंदोलन को फेल करने के लिए किया गया पाप है, जिस के लिए वाहेगुरु गुनहगारों को कभी माफ़ नहीं करे गा। अपनी पगड़ी की और अपने निशान साहिब की इज्जत करना सीखो। यह मेरी प्रार्थना भी है, सलाह भी।
🚩 सत्त श्री अकाल🚩
@✒गुरु बलवंत गुरुने ⚔
 A bilingual post @GBG

No comments:

Post a Comment